प्रवासी मजदूरों के मददगार के रूप में चर्चित हुए अभिनेता सोनू सूद ने भीतरी और बाहरी की मौजूदा बहस में थोड़ा और वजन बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा है कि जिन लोगों के खानदान फिल्म इंडस्ट्री से ताल्लुक रखते हैं, उनके बच्चों को सफलता थोड़ा जल्दी मिल जाती है लेकिन, बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं।
सोनू ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘जब एक बाहरी व्यक्ति अपने सपने पूरे करने के लिए मुंबई शहर में आता है तो हमें बहुत गर्व होता है। इससे दूसरे लोगों की इच्छाओं को भी बल मिलता है लेकिन, जब कुछ इस तरह की घटनाएं हो जाती हैं तो यह सबका दिल तोड़ देती हैं। दबाव होता है।’ सोनू सूद आगे कहते हैं कि ‘हजारों लोग हैं जो इस शहर में काम की तलाश में आते हैं। लेकिन, बहुत कम ही लोग हैं जो कुछ अच्छा कर पाते हैं। जब मैं इस शहर में आया था तो मेरे हाथ में मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री तो थी ही और मैं सोच भी रहा था कि लोग मेरे साथ कुछ अलग तरीके से पेश आएंगे लेकिन, ऐसा कुछ नहीं था। मुझे किसी ऑफिस में घुसने तक नहीं दिया गया।’
अभिनय के क्षेत्र में अपना करियर देख रहे लोगों को सोनू सूद ने सलाह देते हुए कहा, ‘मेरे शुरुआती छह से आठ महीने बहुत मुश्किल में गुजरे थे इसलिए, मैं बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को सिर्फ एक ही बात कहना चाहूंगा कि अगर आप लोहे का कलेजा रखते हैं तो ही ऐसे सपने लेकर यहां आना। किसी चमत्कार के होने की आशा मत रखना।’ सोनू ने कहा कि ‘सिर्फ आप दिखने में अच्छे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी प्रोडक्शन हाउस आपको अपनी फिल्म में ले लेगा। एक स्टार किड को आसानी से मौके मिल जाते हैं। उनके पिता को बस एक फोन घुमाना है और निर्देशक और निर्माता से बात करनी है। और उन्हें काम मिल जाएगा। कल को अगर मेरे बच्चे इंडस्ट्री में काम करना चाहें तो शायद उनके लिए भी यह आसान होगा।’
न्यूज़ सोर्स: अमर उजाला